Thursday, December 19, 2013

स्वस्थ रहने के कुछ नियम


नियम :-
1) सुबह-सुबह उठते ही 2-3 गिलास गुनगुना पानी पीना है। दिन में ३-४ लिटर पानी जरूर पिए और पानी हमेशा कुनकुना(न ज्यादा ठण्डा न गर्म) पीए और आराम से बैठ्कर घूंट भर भर के पिए 
2) सुबह का भोजन सूरज निकलने के 2 घण्टे बाद तक जरूर कर लें।
3) दोहपर का भोजन 12 से 2 के बीच में कर लेना चाहिये।
4) शाम का भोजन सूरज के छिपने से आधे घण्टे पहले तक कर लें।
5) सुबह नाश्ता ना लेकर पूरा भोजन करें, सुबह का भोजन सबसे अधिक रहना चाहिये दोहपर को उससे कम तथा शाम का भोजन सबसे कम होना चाहिये एवं रात्रि में भोजन नहीं करना चाहिये।
6) सुबह भोजन के बाद जूस ले सकते हैं दोहपर में भोजन के बाद छाछ (तक्रम) ले सकते हैं व शाम को भोजन के बाद दूध ले सकते हैं। 

7) पानी भोजन करने के डेढ़ घण्टे बाद ही पियें, खाने के साथ में पानी भूलकर भी ना पियें। 
 पानी जब भी पियें घूँट-घूँट भरकर (चुस्कियाँ) लेकर ही पियें। 

9) चीनी (शक्कर) का प्रयोग करना बंद कर दें उसके स्थान पर गुड़ या मिश्री (खड़ी शक्कर) का प्रयोग करें। 
10) आयोडीन नमक का प्रयोग बंद कर दें और उसके स्थान पर सेंधा नमक (पत्थर वाला) का प्रयोग करें, क्योंकि आयोडीन नमक में 3-4 तत्व ही हमारे शरीर के लिये लाभदायक होते हैं और सेंधा नमक में 94 तत्व हमारे शरीर के लिये लाभदायक होते है। और शरीर में आयोडीन की अधिकता होने के कारण भी नपुंसकता होती है अतः भोजन में सेंधा नमक का ही प्रयोग करना चाहिये।

11) रिफार्इन्ड, डबल रिफार्इन्ड और सोयाबीन तेल का प्रयोग भोजन में करना हानिकारक है उसके स्थान पर मूंगफली, तिल, सरसों आदि का घानी (कोल्हू) वाला तेल ही प्रयोग करें।
12) फ़ास्ट फ़ूड (विदेशी खाना) न खाए, भारतीय खाना खाए

13) खाना सोने से 3-4 घण्टे पहले खा ले और खाने के बाद थोडी सैर जरूर करे

14)दोपहर का खाना खाने के बाद थोडी देर लेट या सो सकते है २० से ४५ मिंट तक

15)सुबह सैर , प्राणायाम योग या व्यायाम जरूर करे

गला और छाती की बीमारी का इलाज


गला और छाती की बीमारी का इलाज :
गले में किनती भी ख़राब से ख़राब बीमारी हो, कोई भी इन्फेक्शन हो, इसकी सबसे अछि दावा है हल्दी । जैसे गले में दर्द है, खरास है , गले में खासी है, गले में कफ जमा है, गले में टोनसीलाईटिस हो गया ; ये सब बिमारिओं में आधा चम्मच कच्ची हल्दी का रस लेना और मुह खोल कर गले में डाल देना , और फिर थोड़ी देर चुप होके बैठ जाना तो ये हल्दी गले में निचे उतर जाएगी लार के साथ ; और एक खुराक में ही सब बीमारी ठीक होगी दुबारा डालने की जरुरत नही । ये छोटे बछो को तो जरुर करना ; बछो के टोन्सिल जब बहुत तकलीफ देते है न तो हम ऑपरेशन करवाके उनको कटवाते है ; वो करने की जरुरत नही है हल्दी से सब ठीक होता है ।

गले और छाती से जुडी हुई कुछ बीमारिया है जैसे खासी ; इसका एक इलाज तो कच्ची हल्दी का रस है जो गले में डालने से तुतंत ठीक हो जाती है चाहे कितनी भी जोर की खासी हो । दूसरी दावा है अदरक , ये जो अदरक है इसका छोटा सा टुकड़ा मुह में रखलो और टफी की तरह चुसो खासी तुतंत बंध हो जाएगी । अगर किसीको खासते खासते चेहरा लाल पड़ गया हो तो अदरक का रस ले लो और उसमे थोड़ा पान का रस मिला लो दोनों एक एक चम्मच और उसमे मिलाना थोड़ा सा गुड या सेहद । अब इसको थोडा गरम करके पी लेना तो जिसको खासते खासते चेहरा लाल पड़ा है उसकी खासी एक मिनट में बंध हो जाएगी । और एक अछि दावा है , अनार का रस गरम करके पियो तो खासी तुरन्त ठीक होती है । काली मिर्च है गोल मिर्च इसको मुह में रख के चबालो , पीछे से गरम पानी पी लो तो खासी बंध हो जाएगी, काली मिर्च को चुसो तो भी खासी बंध हो जाती है । 

छाती की कुछ बिमारिया जैसे दमा, अस्थमा, ब्रोंकिओल अस्थमा, इन तीनो बीमारी का सबसे अच्छा दवा है गाय मूत्र ; आधा कप गोमूत्र पियो सबेरे का ताजा ताजा तो दमा ठीक होता है, अस्थमा ठीक होता है, ब्रोंकिओल अस्थमा ठीक होता है । और गोमूत्र पिने से टीबी भी ठीक हो जाता है , लगातार पांच छे महीने पीना पड़ता है । दमा अस्थमा का और एक अछि दावा है दालचीनी, इसका पाउडर रोज सुबह आधे चम्मच खाली पेट गुड या सेहद मिलाके गरम पानी के साथ लेने से दमा अस्थमा ठीक कर देती है ।


पूरी पोस्ट नहीं पड़ सकते तो निचे दिए गए लिंक में ज विडियो देखे:
http://www.youtube.com/watch?v=UvDYL7xqFGk

Sunday, December 15, 2013

पानी पीने के तरीके

मित्रो आप इन नियमो का पालण पूरी ईमानदारी से अपनी ज़िंदगी मे करे !!
ये नियमो का पालण न करने से ही बीमारियाँ ज़िंदगी मे आती हैं !!
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सुबह उठते ही सबसे पहले हल्का गर्म पानी पिये !! 2 से 3 गिलास जरूर पिये !
पानी हमेशा बैठ कर पिये !
पानी हमेशा घूट घूट करके पिये !!

घूट घूट कर इसलिए पीना है ! ताकि सुबह की जो मुंह की लार है इसमे ओषधिए गुण बहुत है ! ये लार पेट मे जानी चाहिए ! वो तभी संभव है जब आप पानी बिलकुल घूट घूट कर मुंह मे घूमा कर पिएंगे !

इसके बाद दूसरा काम पेट साफ करने का है ! रोज पानी पीकर सुबह शोचालय जरूर जाये !पेट का सही ढंग से साफ न होना 108 बीमारियो की जड़ है !

खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीना जहर पीने के बराबर है !
हमेशा डेड घंटे बाद ही पानी पीएं !

खाना खाने के बाद अगर कुछ पी सकते हैं उसमे तीन चीजे आती हैं !!

1) जूस
2) छाज (लस्सी) या दहीं !
3) दूध

सुबह खाने के बाद अगर कुछ पीना है तो हमेशा जूस पिये !
दोपहर को दहीं खाये ! या लस्सी पिये !
और दूध हमेशा रात को पिये !!

इन तीनों के क्रम को कभी उल्टा पुलटा न करे !!फल सुबह ही खाएं (ज्यादा से ज्यादा दोपहर 1 बजे तक ) ! दहीं दोपहर को दूध रात को !


इसके इलावा खाने के तेल मे भूल कर भी refine oil का प्रयोग मत करे !(वो चाहे किसी भी कंपनी का क्यू न हो dalda ,ruchi,gagan)को भी हो सकता है !
अभी के अभी घर से निकाल दें ! बहुत ही घातक है !
सरसों के तेल का प्रयोग करे ! या देशी गाय के दूध का शुद्ध घी खाएं ! ! (पतंजलि का सरसों का तेल एक दम शुद्ध है !(शुद्ध सरसों के तेल की पहचान है मुंह पर लगाते ही एक दम जलेगा ! और खाना बनाते समय आंखो मे हल्की जलन होगी !


चीनी का प्रयोग तुरंत बंद कर दीजिये ! गुड खाना का प्रयोग करे ! या शक्कर खाये ! चीनी बहुत बीमारियो की जड़ ! slow poison है !)

खाने बनाने मे हमेशा सेंधा नमक या काला नमक का ही प्रयोग करे !! आयोडिन युक्त नमक कभी न खाएं !!
(ये नमक वाली बात आपको अजीब लग सकती हैं ! लेकिन बहुत रहस्यमय कहानी है इस आओडीन युकत नमक के पीछे ) बाद मे विस्तार से बताई जाएगी !!

सुबह का भोजन सूर्य उद्य ! होने के 2 से 3 घंटे तक कर लीजिये ! (अगर 7 बजे आपके शहर मे सूर्य निकलता है ! तो 9 या 10 बजे तक सुबह का भोजन कर लीजिये ! इस दौरान जठर अग्नि सबसे तेज होती है ! सुबह का खाना हमेशा भर पेट खाएं ! सुबह के खाने मे पेट से ज्यादा मन संतुष्टि होना जरूरी है ! इसलिए अपनी मनपसंद वस्तु सुबह खाएं !!

खाना खाने के तुरंत बाद ठीक 20 मिनट के लिए बायीं लेट जाएँ और अगर शरीर मे आलस्य ज्यादा है तो 40 मिनट मिनट आराम करे ! लेकिन इससे ज्यादा नहीं !

इसी प्रकार दोपहर को खाना खाने के तुरंत बाद ठीक 20 मिनट के लिए बायीं लेट जाएँ और अगर शरीर मे आलस्य ज्यादा है तो 40 मिनट मिनट आराम करे ! लेकिन इससे ज्यादा नहीं !

रात को खाना खाने के तुरंत बाद नहीं सोना ! रात को खाना खाने के बाद बाहर सैर करने जाएँ ! कम से कम 500 कदम सैर करे ! और रात को खाना खाने के कम स कम 2 घंटे बाद ही सोएँ !

ब्रह्मचारी है (विवाह के बंधन मे नहीं बंधे ) तो हमेशा सिर पूर्व दिशा की और करके सोएँ ! ब्रह्मचारी नहीं है तो हमेशा सिर दक्षिण की तरफ करके सोएँ ! उत्तर और पश्चिम की तरफ कभी सिर मत करके सोएँ !

मैदे से बनी चीजे पीज़ा ,बर्गर ,hotdog,पूलड़ोग , आदि न खाएं ! ये सब मेदे को सड़ा कर बनती है !! कब्ज का बहुत बड़ा कारण है ! और ऊपर आपने पढ़ा कब्ज से 108 रोग आते हैं )


इन सब नियमो का अगर पूरी ईमानदारी से प्रयोग करेंगे ! 1 से 2 महीने मे ऐसा लगेगा पूरी जिंदगी बदल गई है ! मोटापा है तो कम हो जाएगा ! hihgh BP,cholesterol,triglycerides,सब level पर आना शुरू हो जाएगा ! HDL बढ्ने लगेगा ! LDL ,VLDL कम होने लगेगा !! और भी बहुत से बदलाव आप देखेंगे !!
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ऊपर लिखी सारी बातों को एक एक कर विस्तार से समझने के लिए यहाँ click करें !

http://www.youtube.com/watch?v=-abSZjwsoJw

वन्देमातरम !

Tuesday, November 12, 2013

डेंगू का इलाज़


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डेंगू बुखार का इलाज !
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आजकल डेंगू एक बड़ी समस्या के तौर पर उभरा है, जिससे कई लोगों की जान जा रही है l

यह एक ऐसा वायरल रोग है जिसका मेडिकल चिकित्सा पद्धति में कोई इलाज नहीं है परन्तु आयुर्वेद में इसका इलाज है और वो इतना सरल और सस्ता है की उसे कोई भी कर सकता है l तीव्र ज्वर, सर में तेज़ दर्द, आँखों के पीछे दर्द होना, उल्टियाँ लगना, त्वचा का सुखना तथा खून के प्लेटलेट की मात्रा का तेज़ी से कम होना डेंगू के कुछ लक्षण हैं जिनका यदि समय रहते इलाज न किया जाए तो रोगी की मृत्यु भी सकती है l

यदि आपके किसी भी जानकार को यह रोग हुआ हो और खून में प्लेटलेट की संख्या कम होती जा रही हो तो चित्र में दिखाई गयी चार चीज़ें रोगी को दें :
१) अनार जूस
२) गेहूं घास रस
३) पपीते के पत्तों का रस
४) गिलोय/अमृता/अमरबेल सत्व

- अनार जूस तथा गेहूं घास रस नया खून बनाने तथा रोगी की रोग से लड़ने की शक्ति प्रदान करने के लिए है, अनार जूस आसानी से उपलब्ध है यदि गेहूं घास रस ना मिले तो रोगी को सेब का रस भी दिया जा सकता है l

- पपीते के पेड़ के पत्तों का रस सबसे महत्वपूर्ण है, पपीते का पेड़ आसानी से मिल जाता है उसकी ताज़ी पत्तियों का रस निकाल कर मरीज़ को दिन में २ से ३ बार दें , एक दिन की खुराक के बाद ही प्लेटलेट की संक्या बढ़ने लगेगी l

- गिलोय बेल की डंडी ले ! डंडी के छोटे टुकड़े करे !
2 गिलास पानी मे उबाले ! जब पानी आधा रह जाये !
ठंडा होने पर रोगी को पिलाये !
मात्र 45 मिनट बाद cell बढ़ने शुरू हो जाएँगे !! गिलोय की बेल का सत्व मरीज़ को दिन में २-३ बार दें, इससे खून में प्लेटलेट की संख्या बढती है, रोग से लड़ने की शक्ति बढती है तथा कई रोगों का नाश होता है l यदि गिलोय की बेल आपको ना मिले तो किसी भी नजदीकी पतंजली चिकित्सालय में जाकर "गिलोय घनवटी" ले आयें जिसकी एक एक गोली रोगी को दिन में 3 बार दें l

यदि बुखार १ दिन से ज्यादा रहे तो खून की जांच अवश्य करवा लें l

यदि रोगी बार बार उलटी करे तो सेब के रस में थोडा नीम्बू मिला कर रोगी को दें, उल्टियाँ बंद हो जाएंगी @
ये रोगी को अंग्रेजी दवाइयां दी जा रही है तब भी यह चीज़ें रोगी की बिना किसी डर के दी जा सकती हैं !
डेंगू जितना जल्दी पकड़ में आये उतना जल्दी उपचार आसान हो जाता है और रोग जल्दी ख़त्म होता है !
रोगी के खान पान का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि बिना खान पान कोई दवाई असर नहीं करती !

ऊपर बताए गए इलाजों मे सबसे जल्दी पपीते के पेड़ के पत्ते कम करते हैं फिर गिलोय !!
इससे अच्छा और सस्ता कोई इलाज नहीं डेंगू बुखार का !

नीचे दिये गए link पर click करें ! आप लगभग हर बीमारी का आयुर्वेदिक इलाज जान जाएंगे !
http://www.youtube.com/watch?v=-abSZjwsoJw

Sunday, November 10, 2013

चिकनगुनिया की दवा


मित्रो कुछ दिनो पहले चिकनगुनिया नाम की बीमारी बहुत तेजी से अपने देश मे फैली !! लाखो की संख्या मे लोग इससे प्रभावित हुये ! और हजारो लोग मरे ! हमेशा की तरह सरकार के हाथ खड़े रहे !

श्री राजीव दीक्षित जी ने 6 महीने गाँव -गाँव घूम-घूम कर आयुर्वेदिक दवा से सैंकड़ों लोगो को बचाया !!और ये दवा बनानी कितनी आसान है !

तुलसी का काढ़ा पी लो !

नीम की गिलोय होती है उसको भी उसमे डाल लो !

थोड़ी सोंठ(सुखी अदरक) डाल लो !

थोड़ी छोटी पीपर डाल लो !

और अंत थोड़ा गुड मिला लो ! क्यूंकि ज्यादा कड़वा हो जाता है तो कई बार पिया नहीं जाता !

मात्र इसकी 3 खुराक से राजीव भाई ने हजारो लोगो का चिकनगुनिया पूरा खत्म कर दिया !!
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और जो ये एलोपेथी वाले ने किया ! Boveron के 3 -3 इंजेक्शन ठोक दो ! diclofenac दे दो !
Paracetamol भी दे दो ! जो इनके पास है सब मरीज को ठोक दिया ! और लोग 20 -20 दिन से बिस्तर मे पड़े तड़पते रहे !!

और कुछ डाक्टर जिनको खुद चिकनगुनिया हो गया ! राजीव भाई के पास आए और बोलो कुछ बता दो ! राजीव भाई ने कहा अपना इंजेक्शन खुद क्यूँ नहीं ठोक लेते ! तो उन्होने ने कहा हमे मालूम है इसके side effects क्या हैं !

तो राजीव भाई ने कहा मरीज को क्यूँ नहीं बताते ???
क्या इतने हरामखोर हो ??

तुम जानते हो Boveron लगाएंगे मुंह मे छाले हो जाएँगे ! गले मे छालें हो जाएँगे ! अल्सर होने की भी संभावना है ! ये सब तुम जानते हो तो मरीज को क्यूँ नहीं बताते ???

ये हरामखोरी तुम मे कहाँ से आ गई ??

अपने को ये सब इंजेक्शन लगाओ नहीं ! और मरीज को ठोकते जाओ ठोकते जाओ ! और तुमके मालूम है मरीज इससे ठीक होने वाला नहीं ! फिर Paracetamol दे दो फिर novalgin दे दो !

और दुर्भाग्य से ये सारी दवाएं यूरोप के देशों मे पीछले 20 -20 से बंद है ! वो कहते है diclofenac खराब है !Paracetamol तो जहर है ! novaljin तो 1984 से बैन हैं अमेरिका मे ! और वही इंजेक्शन ठोक रहें बार बार ! और मरीज जो है ठीक ही नहीं हो रहा !!

राजीव भाई बताते है होमेओपेथी की तो बहुत सी दवा तो आयुर्वेद से हीं गाई ! आप मे से कुछ होमेओपेथी डाक्टर होंगे तो वो जानते होंगे ! तुलसी से ही ocimum बनी हैं ! तो ocimum की तीन तीन खुराक देकर राजीव भाई ने कर्नाटक राज्य मे 70 हजार लोगो को चलता कर दिया ! और वो 20 -20 दिन से एलोपेथी खा रहे थे result नहीं आ रहा था ! बुखार रुक नहीं रहा था उल्टी पे उल्टी हो रही थी ! नींद आ नहीं रही थी और ocimum 200 की तीन तीन खुराक से
सब ठीक कर दिया !

और अंत कर्नाटक राज्य की सरकार ने इसके परिणाम देख अपने सारे डाएरेक्टर,जोयन डेरेक्टर ! लगा दिये कि जाओ देखो ये राजीव दीक्षित क्या दे रहा है !

राजीव भाई 70 हजार लोगो को दवा दी सिर्फ 6 मरे ! औए उन्होने 1 लाख 22 हजार लोगो की दी मुश्किल से 6 बचे !! ये कर्नाटक का हाल था ! राजीव भाई बोले मेरी मजबूरी ये थी की कार्यकर्ता कम पढ़ गए ! अगर 1 -2 हजार डाक्टरों की टीम साथ होती ! तो हम कर्नाटक के उन लाखो लोगो को बचा लेते जो मर गए !

तो मित्रो ये तुलसी ,नीम सोंठ ,पीपर सब आपके घर मे आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं ! इनके प्रयोग से आप रोगी की जान बचा सकते हैं ! और अगर पूरे शहर या गाँव मे फैल जाये ! एक एक को काढ़ा पिलाना मुश्किल हो तो होमेओपेथी की ocimum 200 की दो दो बुँदे 3 -3 बार मरीजो को दीजिये !!
उनका अनमोल जीवन और पैसा बचाइए !

अपने पूरी post पढ़ी बहुत बहुत धन्यवाद !

एक बार यहाँ जरूर click कर देखे !
https://www.youtube.com/watch?v=PmQnBJbq5X8

भोजन करने का सर्वोत्तम समय

पूरी post नहीं पढ़ सकते तो यहाँ click कर देखें !
https://www.youtube.com/watch?v=TkJXNYHIWBg

मित्रो हमारे देश मे 3000 साल पहले एक ऋषि हुए जिनका नाम था बागवट जी ! वो 135 साल तक जीवित रहे ! उन्होने अपनी पुस्तक अशटांग हिरद्यम मे स्वस्थ्य रहने के 7000 सूत्र लिखे ! उनमे से ये एक सूत्र राजीव दीक्षित जी की कलम से आप पढ़ें !
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बागवट जी कहते है, ये बहुत गहरी बात वो ये कहते है जब आप भोजन करे कभी भी तो भोजन का समय थोडा निश्चित करें । भोजन का समय निश्चित करें । ऐसा नहीं की कभी भी कुछ भी खा लिया । हमारा ये जो शरीर है वो कभी भी कुछ खाने के लिए नही है । इस शरीर मे जठर है, उससे अग्नि प्रदिप्त होती है । तो बागवटजी कहते है की, जठर मे जब अग्नी सबसे ज्यादा तीव्र हो उसी समय भोजन करे तो आपका खाया हुआ, एक एक अन्न का हिस्सा पाचन मे जाएगा और रस मे बदलेगा और इस रस में से मांस,मज्जा,रक्त,मल,मूत्रा,मेद और आपकी अस्थियाँ इनका विकास होगा ।

हम लोग कभी भी कुछ भी खाते रहते हैं । ये कभी भी कुछ भी खाने पद्ध्ती भारत की नहीं है, ये युरोप की है । युरोप में doctors वो हमेशा कहते रहते है की थोडा थोडा खाते रहो, कभीभी खाते रहो । हमारे यहाँ ये नहीं है, आपको दोनों का अंतर समझाना चाहता हूँ । बागवटजी कहते है की, खाना खाते का समय निर्धरित करें । और समय निर्धरित होगा उससे जब आप के पेट में अग्नी की प्रबलता हो । जठरग्नि की प्रबलता हो । बागवटजी ने इस पर बहुत रिसर्च किया और वो कहते है की, डेढ दो साल की रिसर्च के बाद उन्हें पता चला की जठरग्नि कौन से समय मे सबसे ज्यादा तीव्र होती है । तो वो कहते की सूर्य का उदय जब होता है, तो सूर्य के उदय होने से लगभग ढाई घंटे तक जठरग्नि सबसे ज्यादा तीव्र होती है ।

मान लो अगर आप चेन्नई मे हो तो 7 बजे से 9 बजे तक जठरग्नि सबसे ज्यादा तीव्र होगी । हो सकता है ये इसी सूत्रा अरूणाचल प्रदेश में बात करूँ तो वो चार बजे से साडे छह का समय आ जाएगा । क्यांे कि अरूणाचल प्रदेश में सूर्य 4 बजे निकल आता है । अगर सिक्कीम मे कहूँगा तो 15 मिनिट और पहले होगा, यही बात अगर मे गुजरात मे जाकर कहूँगा तो आपसे समय थोडा भिन्न हो जाएगा तो सूत्रा के साथ इसे ध्यान मे रखे । सूर्य का उदय जैसे ही हुआ उसके अगले ढाई घंटे तक जठर अग्नी सबसे ज्यादा तीव्र होती है । तो बागवटजी कहते है इस समय सबसे ज्यादा भोजन करें ।

बागवटजी ने एक और रिसर्च किया था, जैसे शरीर के कुछ और अंग है जैसे हदय है, जठर,किडनी,लिव्हर है इनके काम करने का अलग अलग समय है ! जैसे दिल सुबह के समय सबसे अधिक काम करता है ! 4 साढ़े चार बजे तक दिल सबसे ज्यादा सक्रीय होता है और सबसे ज्यादा heart attack उसी समय मे आते है । किसी भी डॉक्टर से पूछ लीजीए, क्योकि हदय सबसे ज्यादा उसी समय में तीव्र । सक्रीय होगा तो हदय घात भी उसी समय होगा इसलिए 99 % हार्ट अॅटॅक अर्ली मॉनिंग्ज मे ही होते है । इसलिए तरह हमारा लिव्हर किडनी है, एक सूची मैने बनाई है, बाहर पुस्तको मे है । संकेतरूप मे आप से कहता हूँ की शरीर के अंग का काम करने का समय है, प्रकृती ने उसे तय किया है । तो आप का जठर अग्नी सुबह 7 से 9.30 बजे तक सबसे ज्यादा तीव्र होता है तो उसी समय भरपेट खाना खाईए ।


ठीक है । फिर आप कहेगे दोपहर को भूख लगी है तो थोडा और खा लीजीए । लेकीन बागवट जी कहते है की सुबह का खाना सबसे ज्यादा । अगर आज की भाषा में अगर मे कहूँ तो आपका नाष्टा भरपेट करे । और अगर आप दोपहर का भोजन आप कर रहे है तो बागवटजी कहते है की, वो थोडा कम करिए नाश्ते से थोडा 1/3 कम कर दीजीए और रात का भोजन दोपहर के भोजन का 1/3 कर दीजीए । अब सीधे से आप को कहता हूँ । अगर आप सवेरे 6 रोटी खाते है तो दोपहर को 4 रोटी और शाम को 2 रोटी खाईए । अगर आप को आलू का पराठा खाना है आपकी जीभ स्वाद के लिए मचल रही है तो बागवटजी कहते है की सब कुछ सवेरे खाओ, जो आपको खानी है सवेरे खाओ, हाला की अगर आप जैन हो तो आलू और मूली का भी निषिध्द है आपके लिए फिर अगर जो जैन नहीं है, उनके लिए ? आपको जो चीज सबसे ज्यादा पसंद है वो सुबह आओ । रसगुल्ला , खाडी जिलेबी, आपकेा पसंद है तो सुबह खाओ । वो ये कहते हे की इसमें छोडने की जरूरत नहीं सुबह पेट भरके खाओ तो पेट की संतुष्टी हुई , मन की भी संतुष्टी हो जाती है ।


और बागवटजी कहते है की भोजन में पेट की संतुष्टी से ज्यादा मन की संतुष्टी महत्व की है।
मन हमारा जो है ना, वो खास तरह की वस्तुये जैसे , हार्मोन्स , एंझाईम्स से संचालित है । मन को आज की भाषा में डॉक्टर लोग जो कहते हैं , हाला की वो है नहीं लेकिन डाक्टर कहते हैं मन पिनियल गलॅंड हैं ,इसमे से बहुत सारा रस निकलता है । जिनको हम हार्मोन्स ,एंझाईम्स कह सकते है ये पिनियल ग्लॅंड (मन )संतुष्टी के लिए सबसे आवश्यक है , तो भोजन आपको अगर तृप्त करता है तो पिनियललॅंड आपकी सबसे ज्यादा सक्रीय है तो जो भी एंझाईम्स चाहीए शरीर को वो नियमित रूप मंे समान अंतर से निकलते रहते है । और जो भोजन से तृप्ती नहीं है तो पिनियल ग्लॅंड मे गडबड होती है । और पिनियल ग्लॅंड की गडबड पूरे शरीर मे पसर जाती है । और आपको तरह तरह के रोगो का शिकार बनाती है । अगर आप तृप्त भोजन नहीं कर पा रहे तो निश्चित 10-12 साल के बाद आपको मानसिक क्लेश होगा और रोग होंगे । मानसिक रोग बहुत खराब है । आप सिझोफ्रनिया डिप्रेशन के शिकार हो सकते है आपको कई सारी बीमारीया ,27 प्रकार की बीमारीया आ सकती है , । कभी भी भोजन करे तो, पेट भरे ही ,मन भी तृप्त हो । ओर मन के भरने और पेट के तृप्त होने का सबसे अच्छा समय सवेरे का है ।


अब मैने(राजीव भाई ने ) ये बागवटजी के सूत्रों को चारो तरफ देखना शुरू किया तो मुझे पता चला की मनुष्य को छोडकर जीव जगत का हर प्राणी इस सूत्रा का पालन कर रहा है । मनुष्य अपने को होशियार समझता है । लेकिन मनुष्य से ज्यादा होशियारी जीव जगत के प्राणीयों मे है । आप चिडीया को देखो, कितने भी तरह की चिडीये, सबेरे सुरज निकलते ही उनका खाना शुरू हो जाता है , और भरपेट खाती है । 6 बजे के आसपास राजस्थान, गुजरात में जाओ सब तरह की चिडीया अपने काम पर लग जाती है। खूब भरपेट खाती है और पेट भर गया तो चार घंटे बाद ही पानी पीती है । गाय को देखिए सुबह उठतेही खाना शुरू हो जाता है । भैंस, बकरी ,घोडा सब सुबह उठते ही खाना खाना शुरू करंगे और पेट भरके खाएँगे । फिर दोपहर को आराम करेंगे तो यह सारे जानवर ,जीवजंतू जो हमारी आँखो से दीखते है और नही भी दिखते ये सबका भोजन का समय सवेरे का हैं । सूर्योदय के साथ ही थे सब भोजन करते है । इसलिए, थे हमसे ज्यादा स्वस्थ रहते है ।

मैने आपको कई बार कहा है आप उस पर हँस देते है किसी भी चिडीया को डायबिटीस नही होता किसी भी बंदर को हार्ट अॅटॅक नहीं आता । बंदर तो आपके नजदीक है ! शरीर रचना मे बस बंदर और आप में यही फरक है की बंदर को पूछ है आपको नहीं है बाकी अब कुछ समान है । तो ये बंदर को कभी भी हार्ट अॅटॅक, डासबिटीस ,high BP ,नहीं होता ।


मेरे एक बहुत अच्छे मित्रा है, डॉ. राजेंद्रनाथ शानवाग । वो रहते है कर्नाटक में उडूपी नाम की जगह है वहाँपर रहते है । बहुत बडे ,प्रोफेसर है, मेडिकल कॉलेज में काम करते है । उन्होंने एक बडा गहरा रिसर्च किया ।की बंदर को बीमार बनाओ ! तो उन्होने तरह तरह के virus और बॅक्टेरिया बंदर के शरीर मे डालना शुरू किया, कभी इंजेक्शन के माध्यम से कभी किसी माध्यम से । वो कहते है, मैं 15 साल असफल रहाँ । बंदर को कुछ नहीं हो सकता । और मैने कहा की आप ये कैसे कह सकते है की, बंदर कुछ नहीं हो सकता , तब उन्हांने एक दिन रहस्य की बात बताई वो आपको भी ,बता देता हूँ । की बंदर का जो है न RH factor दुनिया में ,सबसे आदर्श है, और कोई डॉक्टर जब आपका RH factor नापता है ना ! तो वो बंदर से ही कंम्पेअर करता है , वो आपको बताता नहीं ये अलग बात है । कारण उसका ये है की, उसे कोई बीमारी आ ही नहीं सकती । ब्लड मे कॉलेस्टेरॉल बढता ही नहीं । ट्रायग्लेसाईड कभी बढती नहीं डासबिटीस कभी हुई नहीं । शुगर कितनी भी बाहर से उसके शरीर मे डंट्रोडयूस करो, वो टिकती नहीं । तो वो प्रोफेसर साहब कहते है की, यार ये यही चक्कर है ,की बंदर सवेरे सवेरेही भरपेट खाता है । जो आदमी नहीं खा पाता ।



तो वो प्रोफेसर रवींद्रनाथ शानवागने अपने कुछ मरींजों से कहा की देखो भया , सुबह सुबह भरपेट खाओ ।तो उनके कई मरीज है वो मरीज उन्हे बताया की सुबह सुबह भरपेट खाना खाओ तो उनके मरीज बताते है की, जबसे उन्हांने सुबह भरपेट खाना शुरू किया तो , डासबिटीस माने शुगर कम हो गयी, किसी का कॉलेस्टेरॉल कम हो गया, किसी के घटनों का दर्द कम हो गया कमर का दर्द कम हो गया गैस बनाना बंद हो गई पेट मे जलन होना, बंद हो गयी नींद अच्छी आने लगी ..... वगैरा ..वगैरा । और ये बात बागवटजी 3500 साल पहले कहते ये की सुबह की खाना सबसे अच्छा । माने जो भी स्वाद आपको पसंद लगता है वो सुबह ही खाईए ।

तो सुबह के खाने का समय तय करिये । तो समय मैने आपका बता दिया की, सुरज उगा तो ढाई घंटे तक । माने 9.30 बजे तक, ज्यादा से ज्यादा 10 बजे तक आपक भोजन हो जाना चाहिए । और ये भोजन तभी होगा जब आप नाश्ता बंद करेंगे । ये नाष्ता हिंदुस्थानी चीज नहीं है । ये अंग्रेजो की है और आप जानते है हमारे यहाँ क्या चक्कर चल गया है , नाष्टा थोडा कम, करेंगे ,लंच थोडा जादा करेंगे, और डिनर सबसे ज्यादा करेंगे । सर्वसत्यानाष । एकदम उलटा बागवटजी कहेते है की, नाष्टा सबसे ज्यादा करो लंच थोडा कम करो और डिनर सबसे कम करो । हमारा बिलकूल उलटा चक्कर चल रहा है !


ये अग्रेज और अमेरिकीयो के लिए नाष्टा सबसे कम होता है कारण पता है ??वो लोग नाष्टा हलका करे तो ही उनके लिए अच्छा है। हमारे लिए नाष्टा ज्यादा ही करना बहूत अच्छा है । कारण उसका एकही है की अंग्रेजो के देश में सूर्य जलदी नही निकलता साल में 8-8 महिने तक सूरज के दर्शन नहीं होते और ये जठरग्नी है । नं ? ये सूरज के साथ सीधी संबंध्ति है जैसे जैसे सूर्य तीव्र होगा अग्नी तीव्र होगी । तो युरोप अमेरिका में सूरज निकलता नहीं -40 तक . तापमान चला जाता है 8-8 महिने बर्फ पडता है तो सूरज नहीं तो जठरग्नी तीव्र नहीं हो सकती तो वो नाष्टा हेवियर नही कर सकते करेंगे तो उनको तकफील हो जाएँगी !

अब हमारे यहाँ सूर्य हजारो सालो से निकलता है और अगले हजारो सालों तक निकलेगा ! तो हमने बिना सोचे उनकी नकल करना शुरू कर दिया ! तो बाग्वट जी कहते है की, सुबह का खाना आप भरपेट खाईए । ? फिर आप इसमें तुर्क - कुतुर्क मत करीए ,की हम को दुनिया दारी संभालनी है , किसलिए ,पेट के लिए हीं ना? तो पेट को दूरूस्त रखईये , तो मेरा कहना है की, पेट दुरूस्त रखा तो ही ये संभाला तोही दुनिया दारी संभलती है और ये गया तो दुनिया दारी संभालकर करेंगे क्या?

मान लीजिए, पेट ठीक नहीं है , स्वास्थ ठीक नहीं है , आप ने दस करोंड कमा लिया क्या करेंगे, डॉक्टर को ही देगे ना ? तो डॉक्टर को देने से अच्छा किसी गोशाला वाले को दिजीए ;और पेट दुरूस्त कर लिजिए । तो पेट आपका है तो दुनिया आपकी है । आप बाहर निकलिए घरके तो सुबह भोजन कर के ही निकलिए । दोपहर एक बजे में जठराग्नी की तीव्रता कम होना शुरू होता है तो उस समय थोडा हलका खाए माने जितना सुबह खाना उससे कम खाए तो अच्छा है। ना खाए तो और भी अच्छा । खाली फल खायें , ज्यूस दही मठठा पिये । शाम को फिर खाये ।

अब शाम को कितने बजे खाएं ???

तो बाग्वट जी कहते हैं हमे प्रकति से बहूत सीखने की जरूरत हैं । दीपक । भरा तेल का दीपक आप जलाना शुरू किजीए । तो पहिली लौ खूप तेजी से चलेगी और अंतिम लव भी तेजी से चलेगी माने जब दीपक बूजने वाला होगा, तो बुझने से पहले ते जीसे जलेगा , यही पेट के लिए है । जठरग्नी सुबह सुबह बहूत तीव्र होगी और शमा को जब सूर्यास्त होने जा रहा है, तभी तीव्र होगी, बहुत तीव्र होगी । वो कहते है , शामका खाना सूरज रहते रहते खालो; सूरज डूबा तो अग्नी भी डूबी । तो वैसे जैन दर्शन में कहा है सभी भोजन निषेध् है बागवटजी भी यही कहते है ,तरीका अलग है ,बस । जैन दर्शन मे अहिंसा के लिए कहते है,वो स्वास्थ के लिए कहेते है । तो शाम का खाना सूरज डुबने की बाद दुनिया में ,कोई नहीं खाता । गाय ,भैंस को खिलाके देखो नहीं खाएगी ,बकरी ,गधे को खिलाके देखो, खाता नहीं । हा बिलकूल नहीं खाता । आप खाते है , तो आप अपने को कंम्पेअर कर लीजीए किस के साथ है आप ? कोई जानवर, जीवटाशी सूर्य डूबने के बाद खाती नही ंतो आप क्यू खा रहे है ?

प्रकृती का नियम बागवटजी कहते है की पालन करीए माना रात का खाना जल्दी कर दीजिए ।
सूरज डुबने के पहले 5.30 बजे - 6 बजे खायिए । अब कितना पहले ? बागवट जीने उसका कॅल्क्यूलेशन दिया है, 40 मिनिट पहले सूरज चेन्नई से शाम 7 बजे डूब रहा है । तो 6.20 मिनट तक हिंदूस्थान के किसी भी कोने में जाईए सूरज डूबने तक 40 मिनिट तक निकलेगा । तो 40 मिनिट पहले शाम का खाना खा लिजीए और सुबह को सूरज निकलने के ढाई घंटे तक कभी भी खा लीजीए । दोनो समय पेट भरके खा लिजिए । फिर कहेंगे जी रात को क्या ? तो रात के लिए बागवटजी कहेते है की, एक ही चीज हैं रात के लिए की आप कोई तरल पदार्थ ले सकते है । जिसमे सबसे अच्छा उन्होंने दूध कहा हैं । बागवटजी कहते है की, शाम को सूरज डूबने के बाद ‘हमारे पेट में जठर स्थान में कुछ हार्मोन्स और रस या एंझाईम पैदा होते है जो दूध् को पचाते है’ । इसलिए वो कहते है सूर्य डूबने के बाद जो चीज खाने लायक है वो दूध् है । तो रात को दूध् पी लीजीऐ । सुबह का खाना अगर आपने 9.30 बजे खाया तो 6.00 बजे खूब अच्छे से भूक लगेगी ।

फिर आप कहेंगे जी, हम तो दुकान पे वैठे है 6 बजे तो डब्बा मँगा लीजिए । दुकान में डिब्बा आ सकता है । हाँ दुकान में आप बैठे है, 6 बजे डब्बा आ सकता है और मैं आपको हाथ जोडकर आपसे कह रहाँ हूँ की आप मेरे से अगर कोई डायबिटीक पेशंट है, कोई भी अस्थमा पेशंट है, किसी को भी बात का गंभीर रोग है आज से ये सूत्रा चालू कर दिजीए । तीन महिने बाद आप खुद मुझे फोन करके कहंगे की, राजीव भाई, पहले से बहुत अच्छा हूँ sugar level मेरा कम हो रहा है ।
अस्थमा कम हो रहा है। ट्रायग्लिसराईड चेक करा लीजीए, और सूत्रा शुरू करे, तीन महीने बाद फिर चेक करा लीजीए, पहले से कम होगा, LDL बहुत तेजी से घटेगा ,HDL बढ़ेगा । HDL बढना चाहिए, LDL VLDL कम होना ही चाहिए । तो ये सूत्रा बागवटजी का जितना संभव हो आप ईमानदारी से पालन करिए वो आपको स्वस्थ रहने में बहुत मदद करेगा !!

पूरी post पढ़ी बहुत बहुत धन्यवाद !

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